शुक्रवार, 12 जून 2009

व्यंग्य 07 :विश्वासमत और छींक .....

राजनैतिक गहमागहमी व उठापटक के मध्य सदन-पटल पर एक पंक्ति का प्रस्ताव रखा गया - यह सदन सरकार के प्रति अपना विश्वास प्रगट करता है
अध्यक्ष जी ने ,सदन की कार्यवाई शुरू करते हुए चर्चा में भाग लेने हेतु 'क' जी का नाम पुकारा 'क' महोदय जैसे ही अपना पक्ष रखना शुरू किया -'माननीय अध्यक्ष जी ! इस सदन के माध्यम से मैं यह कहना चाहूँगा कि वर्तमान सरकार ..... तभी अचानक किसी ने बिना नाक पर रुमाल रखे एक जोरदार छींक मारी कि सारा सदन गूंज गया .सभी लोग उनकी ओर देखने लगे ज्ञात हुआ कि वह किसी विपक्षी दल के सदस्य थे
विश्वासमत पर बहस के प्रारम्भ में ही यह छींक ! किसी अनागत अनिष्ट कि आशंका से सत्तापक्ष चिंतित हो गया प्रथम ग्रासे मच्छिका पात: नहीं छींक पात: यह छींक शुभ नहीं है प्रस्ताव गिर सकता है .सरकार गिर सकती है सतापक्ष मैं बेचैनी बढ़ने लगी तभी अचानक सत्तापक्ष के एक त्रिशूलधारी सदस्य खड़े हो गए
'अध्यक्ष जी ! अभी-अभी विपक्ष के किसी मित्र ने इस भरे सदन में एक छींक मारी है जो उचित नहीं है .यह छींक किसी आने वाले अनिष्ट का संकेत मात्र है ...शास्त्रों में लिखा है ...
" सम्मुख छींक लड़ाई भाखे
छींक दाहिने द्रव्य विनाशे
"पहले आप बैठिये ! प्लीज़! "-अध्यक्ष महोदय ने आग्रह किया
" महोदय ! खेद है मैं यहाँ बैठने हेतु नहीं आया हूँ मैं अपने चुनाव क्षेत्र से खडा हो कर आया हूँ .क्षेत्र की समस्याओं को खडा करने आया हूँ .देश की ....'
"प्लीज़ आप चुप रहिये 'क' जी को अपनी बात कहने दीजिये .आप का जब क्रम आएगा तो अपनी बात कहियेगा '
" अध्यक्ष जी ! छींक तो उस ने अभी मारी है .जब अनिष्ट हो ही जाएगा ,विशवास मत गिर ही जाएगा तो कहने को क्या रह जाएगा !?
"नहीं ,नहीं, प्लीज़ उस से पहले आप को मौका दिया जाएगा."
" अभी आप बैठे ,प्लीज़ आप चुप रहे सदस्य 'क' को बोलने दें...'क' जी आप चालू रहे .'- अध्यक्ष जी ने अपनी व्यवस्था दी.
'क' जी ने गतांश से आगे कहना शुरू किया -."हाँ तो मैं कह रहा था कि....."
अचानक तीन-चार भगवाधारी सदस्य एक साथ खड़े हो समवेत स्वर में कहना शुरू किया ---"सर!यह छींक भारतीय संस्कृति से जुडा प्रश्न है..विशेषत: हिन्दू संस्कृति से. महोदय यह एक गंभीर प्रश्न है...
ऊँची छींक कहे जयकारी
नीची छींक होय भयकारी
" प्लीज़ !आप तीनो ,नहीं चारो बैठ जाए "क' जी को बात कहने दें.
" महोदय अगर हम बैठ गए तो हिन्दू-संस्कृति बैठ जायेगी ,करोडों हिन्दुओं का विश्वास बैठ जाएगा धर्म बैठ जाएगा . विश्वासमत पर छींक शुभ नहीं है."
" अध्यक्ष जी ,यह धरम-करम की बातें कर रहे हैं' -कई तिरंगाधारी के साथ खड़े हो गए.
"छींक विपक्ष के सदस्य ने मारी है "
"छींक 'क' जी के पृष्ठ भाग से मारी है इसका फलाफल प्रभाव कम होता है"-एक सदस्य ने चुटकी ली
'तो क्या ! मारी तो अध्यक्ष जी के सम्मुख ही न ! इसका प्रभाव अनिष्ट होता है '- किसी दूसरे सदस्य ने चुटकी ली.
'यह भारतीय संस्कृति की अस्मिता का प्रश्न है -कमंडलधारियों ने कहा
"यह सरासर 'कम्युनलिज्म' है '--लाल झंडा वालों ने कहा
'यह दलित सदस्य का अपमान है '- नीला झंडा धारियों ने कहा -" यह साजिश है षडयंत्र है '
'यह व्यवस्था का प्रश्न है '-एक खैनी-सुरती ठोकने वाले ने कहा
'प्लीज़ प्लीज़ आप लोग शांत हो जाए '-अंत में अध्यक्ष जी ने कहा -प्लीज़ आप बैठ जाए.'क' जी को अपनी बात कहने दें .हाँ 'क' जी आप चालू रहें '
विश्वास मत पर गंभीर बहस चल रही थी क्यों की स्थिति उत्तरोत्तर गंभीर होती जा रही थी.लोकतंत्र समृद्ध हो रहा था क्यों कि लोग चीखने -चिलाने कि कला में समृद्ध हो रहे थे.सदन में सरकार के भाग्य का फैसला होना है लोग देश कि अस्मिता पर बहस कर रहे थे,छींक पर बहस कर रहे थे .सच भी है .आदमी रहेगा तो छींक रहेगी ,छींक रहेगी तो संस्कृति का प्रश्न उठेगा.भारत कि अस्मिता का प्रश्न उठेगा.फिर देश रहेगा तो सरकार रहेगी.सरकार का क्या है ! आनी-जानी है.परन्तु नासिका-रंध्र से निकली छींक वापस नहीं जानी है.अत: विचार और बहस इस मुई छींक पर ही होनी चाहिए.
अध्यक्ष जी के आदेशानुसार 'क' महोदय ने अपना वक्तव्य गतांश से आगे पढ़ना शुरू किया -' धन्यवाद अध्यक्ष जी ! हाँ तो मैं कह रहा था कि जब से यह वर्तमान सरकार ...."
'महोदय यह व्यवस्था का प्रश्न है '- त्रिशूलधारी जे ने ,जो अबतक खड़े थे,गोला दागा -विश्वास मत पर बहस से पहले छींके गए अशुभ छींक जैसे गंभीर विषय पर बहस होनी चाहिए '
'अरे! आप अभी तक बैठे नहीं?प्लीज़ पहले आप बैठ जायें. '-अध्यक्ष जी ने कहा -'क' जी को अपनी बात कह लेने दीजिये /हाँ तो 'क' जी आप चालू रहें...
लोकतंत्र की आधी उर्जा सदस्यों को मनाने में लग जाती है और आधी उर्जा रूठे सदस्यों को चुप कराने में लग जाती है.सरकारी कार्य निष्पादन हेतु उर्जा बचती ही नहीं अत; सारे विकास कार्य बिना उर्जा के ही चलता है .यही भारतीय लोकतंत्र का 'आठवां' आर्श्चय है .
'क' जी ने कहना शुरू किया -'हाँ तो मैं कह रहा था कि यह सरकार .......
सदन के एक कोने से एक निर्दलीय जी अचानक उठ खड़े हुए और कहने लगे '....महोदय! विपक्षी पार्टियों की यह छींक कोई साधारण छींक नहीं है यह राजनैतिक छींक है एक सोची-समझी रणनीति के तहत छींक है यह एक साजिस है एक षडयंत्र है ...'
'प्लीज़ ! आप चुप हो जाए ,आप को भी मौका मिलेगा. पहले 'क' जी को अपनी बात कह लेने दीजिये प्लीज़ प्लीज़ ! नो नो इट इश नॉट फेयर .- अध्यक्ष जी ने कहा
" महोदय ! अगर मैं चुप हो आया तो मेरे क्षेत्र की जनता चुप हो जायेगी,देश गूंगा हो जाएगा .हो सकता है विश्वास मत गिर जाने के पश्चात पुन: चुनाव क्षेत्र में जाना पड़ जाए तो क्या मुंह दिखाऊंगा "
" मुंह नहीं ,मुखौटा दिखाना ...'-एक सदस्य ने चुटकी ली
निर्दलीय जी को न बैठाना था ,न बैठे .अपनी बात पर अडे रहे
"....तो क्या मुंह दिखाऊंगा .इस छींक में विरोधियों के साजिस की घिनौनी बू आ रही है ..." और झट से नाक पर एक रुमाल रखते हुए पुन: कहा --'...हमारे मित्र ने स्वयं नहीं छींका है उन से छींकवाया गया है कि विश्वास मत को अशुभ कर दें. इसमें किसी विदेशी शक्ति का भी हाथ हो सकता है .मैं नाम नहीं लेना चाहता परन्तु हम क्या ,आप क्या सारा सदन जानता है कि साथ वाली पार्टी में विदेशी शक्ति कौन है ..."
'प्लीज़ ! प्लीज़ ! आप चुप हो जाइए ...नो..नो.. पहले आप...देखिये आप के इस अंश को सदन की कार्यवाही से निकाल दूंगा..."-अध्यक्ष जी अपनी व्यवस्था सुनाई
कमलधारी जी को इस से क्या अंतर पड़ता है की उनके बहस के इस अंश को सदन की कार्यवाही में रखा जा रहा है या निकाला जा रहा है .उन्हें कौन सा अपने क्षेत्र की जनता को पढवाना है .जनता ही कौन सी पढी लिखी है. जो पढ़े लिखे हैं वो चुनाव में वोट देने जाते नहीं . अत: उन्होंने व्यवस्था की परवाह किए बिना अपना वक्तव्य जारी रखा -"... हो सकता है इस में किसी स्वदेशी शक्ति का हाथ हो .इस छींक के पीछे धोती-कुर्ताधारी भाई जी का हाथ हो जो सदन में अभी-अभी खैनी-सुरती बना कर ठोंक रहे थे ..."
" छीकने पर पार्टी ने व्हिप जारी नहीं किया है "- सुरती-खैनी भाई साहब ने आपत्ति जतायी
कमलधारी जी चालू रहे "...यही वह साजिस है जो लोकतंत्र को खोखला बनाती है और यह छींके सदन की गरिमा गिराती हैं "
'प्लीज़ ! प्लीज़ !! आप चुप जाइए . अगर आप चुप नहीं होंगे तो मैं सदन स्थगित कर दूंगा '- अध्यक्ष जी ने कहा --' प्लीज़ देखिये मैं पैर पर खडा हूँ . स्पीकर इज ऑन लेग ."
" वह भी पैरों पर खडा है ...सिर्फ बेंच पर खडा होना बाकी है '- किसी ने चुटकी ली. लोग उचक-उचक कर यह देखने लगे कौन किस के पैर पर खडा है.
'क' जी आप चालू रहे '-अध्यक्ष जी ने कहा
'महोदय ! पहले आप उस कमलधारी के बच्चे को तो चुप कराइए"
"प्लीज़!आप जल्दी-जल्दी चालू रहिये जब आप बोलेंगे तो वह चुप हो जाएगा '
भारतीय लोकतंत्र इस तरह जल्दी जल्दी आगे बढ़ रहा था
'अ' जी ने अयाचित सुझाव दिया -' अरे! काहे का तंत मजाल किए हैं 'क' जी ! छोडिये न ' पुराणो में लिखा है -
एक नाक दो छींक
काम बने सब ठीक
तो मार दीजिये एक छींक आप भी"
अब 'क' जी का मुखारविंद अध्यक्ष महोदय जी की तरफ से हट कर 'अ' जी की तरफ हो गया .गोला उगलते तोप का मुंह घूम गया
'का बात करते है 'अ' जी ? इ तंत मजाल है?यह छींक का प्रश्न नहीं है. हम लोग तो रोजे खैनी-सुरती ठोंकते रहते हैं ...छींक मारते रहते हैं...आज सदन की गरिमा का प्रश्न है ...देश की सौ करोड़ जनता का प्रश्न है /"
अचानक सदन के एक छोर से १०-१५ सदस्य एक साथ उठ खड़े हुए और आपत्तियां उठाने लगे -'क' जी ने अमर्यादित व असंसदीय भाषा का प्रयोग किया है .यह सदन की अवमानना है .देश का अपमान किया है यह हमारे विशेषाधिकार का हनन हुआ है . कुत्ते के बच्चे हो सकते है , ,आदमी के बच्चे हो सकते है मगर कमलधारी के बच्चे नहीं हो सकते ...यह भारतमाता की अस्मिता का प्रश्न है .../भारत माता की जय ..वन्दे मातरम का नारा लगाते हुए सदन की 'वेळ' में आ गए
दूसरे छोर से कुछ तिरंगाधारी ---हाय हाय ! भगवाधारी हाय हाय ! के नारे लगाते हुए सदन के 'वेळ' में आ गए अध्यक्ष जी प्लीज़ प्लीज़ करते करते खड़े हो गए सदन के बाईं तरफ से लाल-झंडे वाले 'साम्प्रदायिक शक्तियां ! धर्म ढोंगियों हाय हाय ! ' के नारे लगाते सदन के 'वेळ' में आ गए.तीसरे कोने से " तिलक त्रिपुंडी हाय हाय ! तिलक तराजू हाय हाय !मनुवादी सब हाय हाय ! के नारे लगाते हुए हाथी छाप वाले भी 'वेल' में आ गए
इसी बीच ,कुछ हाथी छाप वालों ने एक जोरदार नारा उछाला -'तिलक तराजू और तलवार ,इनको मारो जूते चार'....'और सचमुच एक सदस्य ने अति-उत्साही नेता के आह्वान पर जूता चला दिया फिर क्या था ! दूसरे सज्जन ने अपना जूता खोला तो पूरे सदन में दुर्गन्ध फ़ैल गई लोगो ने तुंरत अपने-अपने रुमाल निकाल कर अपने-अपने नाक पर रख लिए .किसी एक सज्जन ने टेबुल से माइक उखाड़ कर प्रक्षेपास्त्र की तरह प्रहार किया .कोई लेज़र गाईडेड मिसाइल तो थी नहीं कि किसी विपक्षी दल के सदस्य कि ही लगती .अत: चूक वश अपने ही दल के सदस्य को जा लगी .वाकयुध्द शुरू हो गया .तुंरत हाईकमान से शिकायत की गई -'यह तो सरासर अनुशासनहीनता है ,निकालिए इसे पार्टी से बाहर .इसी ने मेरे चुनाव क्षेत्र में भीतरघात किया था अब सदन में प्रक्षेपास्त्र प्रहार कर रहा है .इसे निलंबित किया जाए ..." हाईकमान धृतराष्ट्र बने बैठे है .पीड़ित सदस्य को आश्वासन दे रहे हैं -'अभी निलंबन से विश्वासमत गिरने का खतरा है ' दो-चार सदस्य इन दोनों सदस्यों को मनाने-छुडाने में लग गए .
उधेर 'वेल' में धक्कम-धुक्का जारी है .कोई हस्त-प्रहार कर रहा है तो कोई पद प्रहार सब गडम गड .कौन क्या बोल है ? कुएँ में बहुत मेढक हो गए है टर-टर के अलावा कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा है संभवत: विश्वासमत पर जोरदार बहस चल रही है .एक सदस्य ने दूसरे सदस्य को पटकनी दे मारी और उनके सीने पर आसीन हो कर जिज्ञासा शांत कर रहे थे -"...कहता है हम बाहु-बली हैं ..बोल हम बाहुबली हैं?.
संभवत: पहले सदस्य पहलवान थे जो निर्वाचित हो कर सदन में आ गए थे "मैं नहीं मेरी पार्टी कहती है "- नीचे दबे व्यक्ति ने अपना हाथ छुडाते हुए कहा पास खड़े दो-चार सदस्य उत्साह वर्धन कर रहे थे "...उठिए नेता जी ! दीजिये दो -चार धोबिया पाट से ,सारी पहलवानी निकल जायेगी "
इस महायुद्ध से अलग ,दो गांधी टोपीधारी सदन के कोने में भयवश एक बेंच के नीचे छुपे पड़े आपस में कह रहे थे "...गांधी बाबा ने ठीक ही कहा था की इस पार्टी को आजादी के बाद भंग कर देना चाहिए > भईया मेरी पत्नी का टिकट काट दिया था हाईकमान ने . कह रहे थे की आप की पत्नी बूढी हो गई हैं. युवाओं को टिकट देना है . अब दो और युवाओं को टिकट .भुगतो अब नतीजे ....दूसरे गांधीवादी ने अपनी पीडा उड़ेली
उधर धक्कम-धुक्का जारी है .अध्यक्ष महोदय बीच-बीच में प्लीज़ प्लीज़ बोलते जा रहे है .एक सदस्य ने दूसरे सदस्य का कुर्ता फाड़ डाला तो छुपे हुए कई घोटाले प्रगट हो गए .एक ने तो दूसरे की धोती खोलने का प्रयास किया तो वह धोती छोड़ भाग कर अपनी सीट पर जा बैठे .एक महिला सदस्य ने तो पास खड़े एक सदस्य को दांतों से काट लिया .कहते है महिला अपने क्षेत्र की 'विष-कन्या " थी .संयोग अच्छा था कि ज़हर चढा नहीं क्यों की दाँत नकली थे
वैसे इस 'वेल-युद्घ' को तृतीय महायुद्ध तो नहीं कहा जा सकता परन्तु मित्र व अमित्र दल अपने-अपने सदस्यों के साथ नारे लगाते सदन के 'वेल' में आते जा रहे थे . कोई नारा लगा रहा था ' हिंदी वाले हाय ! हाय !' तो तड़ से प्रत्युत्तर में ' उर्दू वाले हाय ! हाय ! ' नारा लगाने लगे
" अरे यार !हिंदी के विरोध में 'तमिल-कन्नड़ ' चलता है उर्दू नहीं. उर्दू तो तब चलेगा जब धर्म का मसला उठेगा.सहयोगियों ने संशोधन प्रस्तावित किया
विश्वासमत पर बहस जारी है .स्पीकर महोदय प्लीज़ प्लीज़ कर रहे है लोकतंत्र आगे बढ़ रहा है जो शरीर से समृद्ध है वो बहस को समृद्ध कर रहे हैं विचारों व तर्क से जो पटकनी नहीं दे पा रहे हैं वो शरीर से पटकनी दे रहे हैं .सदस्यों के कुर्ते फाड़े जा रहे हैं परन्तु लोकतंत्र तार-तार नहीं हो रहा है.टोपिया उछाली जा रही है परन्तु भारत का लोकतंत्र आज भी विश्व में शीर्ष पर है .यही भारत की अनेकता में एकता है.धमा-चौकडी ,शोर-शराबा ,मार-पीट में सभी एक हो जाते है चाहे वह किसी दल,धर्म क्षेत्र,जाति,रंग,के हों.सभी लोग संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति के अधिकारों का मुक्त कंठ ,मुक्त हस्त ,मुक्त पद,से गाली-वाचन,हस्त-प्रहार व पद-प्रहार कर अपनी पौरुषता व कुरता फाड़ दक्षता का प्रदर्शन कर रहे हैं.समान अवसर प्राप्त है सबको.जनता टी० वी० पर दृश्य देख मगन है .सदन के 'वेल' में जाते हुए नेताओं को यह एहसास नहीं कि सदन के बाहर कि जनता 'वेल(कुँआ) ' में जा रही है
सदन कि दशा व दिशा देख ,अध्यक्ष महोदय ने घबरा कर सभा मध्याह्न काल तक स्थगित कर दी.
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भोजनोपरांत सदन कि कार्यवाही पुन: प्रारंभ हुई .सदस्यगण अपने-अपनी सीट ग्रहण कर चुके हैं
" ख' जी आप अपना पक्ष प्रस्तुत करे"-
'ख' जी एक महिला सदस्य थी .सुन्दर थी.जब से राजनीती में अभिनेत्रियों का आना शुरू हो गया है सदन में सौन्दर्य वृद्धि हो गई है जब ये सदस्याएं उठती है तो पूरा सदन बड़े ध्यान से सुनने के बजाय देखने में मगन हो जाता है.जैसे ही उक्त महिला ने अपना वक्तव्य पढ़ना शुरू किया -"...मैं आप का ध्यान अपने पक्ष के दो बिन्दुओं पर आकर्षित करना चाहूंगी..." कि अचानक सदन में हंसी कि लहर दौड़ गई .अब पूरे सदन का ध्यान उनके दो बिदुओं कि तरफ आकर्षित हो गया .स्थिति स्पष्ट होते ही उन्होंने अपना पल्लू खीच लिया और कहा ...'मेरा मंतव्य था...कि ..."
तभी अचानक 'क' जी उठ खड़े हुए और कहने लगे -'अध्यक्ष महोदय ! अभी मेरा भाषण पूरा नहीं हुआ है."
"नहीं,नहीं, आप बैठिये आप का समय पूरा हो गया .आप को पूरा मौका दिया गया "
"यह तो मौलिक अधिकार का हनन है ,लोकतंत्र कि ह्त्या है"
"प्लीज़ आप चुप रहे हाँ 'ख' जी आप चालू रहे "
तभी अचानक सदन में कई सदस्य एक साथ उठ खड़े हुए और समवेत स्वर में बोलना शुरू किए "...महोदय ! अभी छींक पर सदन का फलित विचार शेष है ..."
"प्लीज़ ! प्लीज़ ! आप सब बैठे "
वाही हंगामा पुन: शुरू हो गया
०० ००० ०००
लगता है हमारा लोकतंत्र अभी 'क' 'ख' 'ग' से आगे नहीं बढ़ सका ।

-आनंद

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